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1 दिसंबर 1997 का दिन लोग शायद ही भूल सके। इस दिन बिहार के जहानाबाद जिले के लक्ष्मणपुर बाथे गांव में अब तक के सबसे बड़े जातीय नरसंहार को अंजाम दिया गया था। इस घटना से पूरा देश कांप गया था। आरोप है कि ऊंची जाति के लोगों द्वारा बनाई गई रणवीर सेना गिरोह के लोगों ने 58 लोगों को आज ही के दिन गोलियों से भून डाला था। मरने वालों में 27 महिलाएं और 16 बच्चे भी शामिल थे। उन 27 महिलाओं में से करीब दस महिलाएं गर्भवती भी थीं। ( 1 दिसंबर को नरसंहार के 18 साल पूरे हो रहे हैं। आइए जानते हैं कैसे अपराधियों ने इस घटना को अंजाम दिया और इसके बाद पूरा देश कैसे आक्रोशित हो उठा।) कई परिवारों का मिट गया नामोनिशान 1 दिसंबर 1997 बिहार के लिए काला दिन साबित हुआ। हत्यारों ने तीन नावों में सवार होकर सोन नदी को पार किया और गांव में आ पहुंचे। उन लोगों ने सबसे पहले उन नाविकों की हत्या कर दी, जिनके सहारे उन्होंने नदी को पार किया था। इसके बाद हत्यारों ने भूमिहीन मजदूरों और उनके परिवार के सदस्यों को घर से बाहर निकाला और गोलियों से भून डाला। तीन घंटे तक चले इस खूनी खेल में सोन नदी के किनारे बसे बाथे टोला गांव को उजाड़ दिया। हत्याकांड में कई परिवारों का नामोनिशान तक मिट गया था। उस वक्त जातीय नरसंहारों का दौर था दरअसल, बिहार में नब्बे के दशक में जातीय नरसंहारों का दौर था। अगड़े-पिछड़े, वंचित और संपन्न के बीच छिड़ा वर्ग संघर्ष, जातीय संघर्ष में बदलकर सैकड़ों लोगों की बलि लेने लगा था। बिहार के खेत-खलिहान आंदोलनों, अन्याय और शोषण से धधक रहे थे। लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार इसी धधक का एक काला उदाहरण था। एक साथ जली थी 58 चिताएं दो दिनों तक स्थानीय लोगों ने शवों का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया था। 3 दिसंबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने गांव का दौरा किया उसके बाद शवों का सामूहिक अंतिम संस्कार किया गया। तब एक साथ 58 चिताएं जली थीं। इस नरसंहार ने पूरे देश और दुनिया को हिलाकर रख दिया था। तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने गहरी चिंता जताते हुए हत्याकांड को 'राष्ट्रीय शर्म' करार दिया था। जबकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल समेत सभी पार्टियों के नेताओं ने इस हत्याकांड की घोर निंदा की थी। यदि डॉ भीमराव आंबेडकर के विचारों को प्रसारित करने का हमारा यह कार्य आपको प्रशंसनीय लगता है तो आप हमें कुछ दान दे कर ऐसे कार्यों को आगे बढ़ाने में हमारी सहायता कर सकते हैं। दान आप नीचे दिए बैंक खाते में जमा करा कर हमें भेज सकते हैं। भेजने से पहले फोन करके सूचित कर दें।
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AuthorNikhil Sablania ArchivesCategories |